छात्रावास में रहने गए छोटे भाई को पत्र लिखिए।

अनिल शर्मा,
गाँवदेवी रोड़, दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ……………………..

प्रिय अनुज विनोद,

सस्नेह आशीर्वाद।

मैं यहाँ कुशलता से हूँ और माता-पिता का स्वास्थ्य भी अच्छा हैं। उम्मीद करता हूँ कि तुम भी हॉस्टल में कुशलतापूर्वक होगे। तुम्हारे हॉस्टल जाने के बाद यह पहला पत्र मैं तुम्हें लिख रहा हूँ। मुझे आशा है कि तुम छात्रावास में अच्छे से जम गए होगे और नए माहौल में खुद को ढालने में सफल हो रहे होगे। घर से दूर जाकर नई जगहों पर रहना, नए लोगों से मिलना और नई चुनौतियों का सामना करना आसान नहीं होता, परंतु मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अंदर वह क्षमता है कि तुम नई जगह पर नए लोगों के बीच भी आसानी से तालमेल बिठा लोगे।

हॉस्टल जाकर तुम सीखोगे कि बिना परिवार के जब मनुष्य अकेला होता है तो वो कैसे खुद के जीवन को संभालता है। वहाँ तुम्हें कई नए दोस्त मिलेंगे। उनके साथ खेल-कूद, मजाक-मस्ती भी खूब होगी। लेकिन इन सबके चक्कर में अपनी पढ़ाई को मत भूलना। अपने अध्ययन में ध्यान देना और जिन चीजों का तुम्हें शौक है उन्हें भी अवश्य समय देना। हॉस्टल में जाकर देर तक सोने की आदत तो बिलकुल नहीं लगाना। समय पर उठकर व्यायाम जरूर करना। अच्छे सेहत के लिए यह बहुत जरुरी है। आलस में आकर किसी भी लेक्चर में अनुपस्थित मत रहना। जो आजादी मिली है, उसका उपयोग अनुशासन में रहकर ही करना। यदि वहाँ कोई परेशानी आती है तो याद रखनातुम्हारे परिवार का प्यार और समर्थन हमेशा तुम्हारे साथ है। अगर कभी तुम्हें अकेलापन महसूस हो, या कोई परेशानी हो, तो बेझिझक मुझसे संपर्क करना। मैं हमेशा तुम्हारे लिए यहाँ हूँ।

आखिर में, मैं तुमसे यही कहना चाहता हूँ कि अपने हॉस्टल के जीवन का आनंद लो। उसे अपनी सफलता की एक सीढ़ी बनाओ। तुम्हारी सफलता में हमें अत्यंत प्रसन्नता होती है। माँ और पिताजी की तरफ से तुम्हें आशीर्वाद। सब तुम्हें बहुत याद करते हैं। मन लगाकर पढाई करना | पत्र मिलते ही जवाब देना |

तुम्हारा बड़ा भाई,

अनिल शर्मा

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