Chapter 1 – पुष्प की अभिलाषा

भावार्थ : 

कवि ने इस कविता में स्वयं की कल्पना एक फूल के रूप में की है। फूल का प्रयोग चीजों की सुंदरता बढ़ाने के लिए होता है। लेकिन कवि नहीं चाहते कि उनका उस रूप में प्रयोग हो। वो नहीं चाहते कि उन्हें किसी देवता की कन्या के गहने में पिरोया जाए या प्रेमिका को प्रसन्न करने के लिए किसी प्रेमी की फूलमाला में डाला जाए। कवि दिखावे के लिए उपयोग में नहीं आना चाहते हैं ।

कवि यह भी नहीं चाहते कि किसी सम्राट की मृत्यु के बाद, सम्मान दिखाने के लिए उन्हें उसके शव पर चढ़ाया जाए। न ही कवि की यह इच्छा है कि देवता की मूर्ति को सजाने के लिए उन्हें मूर्ति के सर पर चढ़ाया जाए। कवि जानते हैं कि देवता की मूर्ति पर चढ़ाया जाना सौभाग्य की बात है किंतु उन्हें ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर गर्व नहीं करना है। यहाँ भी कवि स्वयं की कल्पना एक फूल के रूप में ही कर रहे हैं किन्तु वो पूजा या सम्मान के लिए नहीं इस्तेमाल होना चाहते ।

अंत में, कवि की वनमाली से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें (फूल) तोड़कर उस पथ पर फेंक दिया जाए जिस पथ पर देश के वीर अपने जीवन की आहुति देने जाते हैं। यानी कवि चाहते हैं कि वो सिर्फ देश सेवा में लगे लोगों के काम आए। शोभा, सम्मान या पूजा के लिए वो प्रयोग नहीं होना चाहते।

References

क) चाह नहीं मैं ___________________ को ललचाऊँ।

1) कविता में कवि ने स्वयं की कल्पना किस रूप में की है?
उत्तर: कविता में कवि ने स्वयं की कल्पना एक फूल के रूप में की है।

2) फूलों का प्रयोग सामान्यतः किस लिए किया जाता है?
उत्तर: फूलों का प्रयोग सामान्यतः चीजों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है।

3) कवि अपने आप को फूल के रूप में कैसे प्रयोग होते देखना नहीं चाहते हैं?
उत्तर: कवि नहीं चाहते कि उन्हें किसी देवता की कन्या के गहने में पिरोया जाए या प्रेमिका को प्रसन्न करने के लिए किसी प्रेमी की फूलमाला में डाला जाए।

4) कवि किस प्रकार के उपयोग के खिलाफ हैं?
उत्तर: कवि दिखावे के लिए उपयोग में नहीं आना चाहते हैं।

ख) चाह नहीं सम्राटों ______________ भाग्य पर इठलाऊँ।

1) कवि ने हरि से क्या प्रार्थना की है ?
उत्तर: कवि स्वयं की कल्पना एक फूल के रूप में करते हैं और हरि से प्रार्थना करते हैं कि सम्राट की मृत्यु के बाद, सम्मान दिखाने के लिए उन्हें उसके शव पर न चढ़ाया जाए।

2) कवि के अनुसार फूल को भाग्य पर इठलाने का मौका कैसे मिलता है ?
उत्तर: कवि के अनुसार यदि फूल को देवता के शीश पर चढ़ा दिया जाए तो उसे भाग्य पर इठलाने का मौका मिलता है।

3) यहाँ कवि किन उद्देश्यों के लिए प्रयोग होना नहीं चाहते ?
उत्तर: कवि यहाँ पूजा या सम्मान के लिए प्रयोग नहीं होना चाहते ।

4) कवि और कविता का नाम बताइये।
उत्तर: कवि का नाम है माखनलाल चतुर्वेदी और कविता का नाम है पुष्प की अभिलाषा।

ग ) मातृभूमि पर शीश चढाने, जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

1) कवि ने वनमाली से क्या प्रार्थना की है?
उत्तर: कवि ने स्वयं की कल्पना फूलों से करते हुए वनमाली से प्रार्थना की है कि उसे तोड़कर उस पथ पर फेंक दिया जाए, जिस पथ पर देश के वीर अपने जीवन की आहुति देने जाते हैं।

2) कवि की इस प्रार्थना के पीछे क्या भावना है?
उत्तर: कवि की इस प्रार्थना के पीछे भावना यह है कि वे खुद को देश सेवा में लगे वीरों के काम में लाना चाहते हैं। वे शोभा,सम्मान या पूजा के लिए प्रयोग नहीं होना चाहते, बल्कि देश सेवा में अपना योगदान देना चाहते हैं।

3) वीरों के पथ पर फूलों को फेंकने का क्या महत्व है?
उत्तर: वीरों के पथ पर फूलों को फेंकने का महत्व उनके बलिदान और साहस का सम्मान करना है। यह उनकी शहादत को श्रद्धांजलि देने का एक प्रतीकात्मक कार्य है, जो दिखाता है कि उनका बलिदान देशवासियों द्वारा सराहा और याद किया जाता है।

4) मातृभूमि के लिए वीरों का बलिदान किस प्रकार का प्रतीक है?
उत्तर: मातृभूमि के लिए वीरों का बलिदान उनके अदम्य साहस, प्रेम और देश के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है।

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