ताई

क) “ताऊजी, हमें लेलगाडी (रेलगाड़ी) ला दोगे ?”
१) वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिये ।
उत्तर: वक्ता एक पाँच वर्ष का बालक मनोहर है । उसे रेलगाड़ी से खेलने की इच्छा है । इसलिए वह अपने ताऊ बाबू रामजीदास से रेलगाड़ी ला देने को कह रहा है ।
श्रोता का नाम बाबू रामजी दास हैं । वे एक धनी व्यक्ति हैं । उनका आढ़त का व्यवसाय है । उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । इसलिए वो अपने भतीजे मनोहर को बहुत स्नेह करते हैं।

२) बालक रेलगाड़ी का क्या करेगा ?
उत्तर: बालक रेलगाड़ी में बैठकर बड़ी दूर जाएगा । साथ में वो अपनी बहन चुन्नी को भी ले जाएगा । वह अपने पिता कृष्णदास को गाड़ी में नहीं ले जाएगा क्योंकि वह उसे रेलगाड़ी लाकर नहीं देते । अगर ताऊजी उसे रेलगाड़ी लाकर देंगे तो वो उन्हें भी अपने साथ ले जाएगा ।

३) बालक अपनी ताई को साथ क्यों नहीं लेकर जाना चाहता था ?
उत्तर: बालक मनोहर जानता था कि उसकी ताई उसे स्नेह नहीं करती । इस संवाद के दौरान भी उसकी चाची चिढ़ी बैठी थी । बालक मनोहर को ताई के मुख का भाव अच्छा नहीं लगा । उसे इस बात का विश्वास नहीं था कि ताऊ के बोलने पर भी ताई उसे प्यार करेगी । इसलिए ताऊ के पूछने पर उसने ताई को ले जाने से मना कर दिया ।

४) रामजीदास तथा रामेश्वरी का व्यवहार बालक के प्रति कैसा था ?
उत्तर: रामजीदास और रामेश्वरी दोनों पति पत्नी हैं । उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । रामजीदास अपने छोटे भाई के बच्चों को ही अपने बच्चें मानते हैं । उन्हें मनोहर के प्रति बहुत प्रेम है । वे उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं ।
रामेश्वरी को बाबू रामजीदास का मनोहर के प्रति स्नेह बिलकुल अच्छा नहीं लगता था । उसका व्यवहार मनोहर के प्रति बहुत शुष्क रहता था । वह बालक से गुस्से में ही बात करती । उसे मनोहर पर बिलकुल प्यार नहीं आता व वो उसे पराया धन समझती थी ।

ख) “लो, इसे प्यार कर लो. यह तुम्हें भी ले जायेगा ।”
१) वक्ता का परिचय दीजिये ।
उत्तर: वक्ता का नाम बाबू रामजी दास हैं । वे एक धनी व्यक्ति हैं । उनका आढ़त का व्यवसाय है । उनकी पत्नी का नाम रामेश्वरी है । उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । उनकी पत्नी उन से संतान के लिए पूजा-पाठ कराने, व्रत रखने के लिए कहती पर उन्हें इन सब बातों पर बिलकुल भरोसा नहीं था । इस वजह से उनका अपनी पत्नी से कई बार झगडा भी होता है । उन्हें अपने छोटे भाई के बच्चों पर बड़ा प्रेम है । वे उन्हें अपनी संतान की तरह समझते हैं ।

२) श्रोता का परिचय दीजिये । उसे किसके प्रति प्यार प्रदर्शित करने को कहा जा रहा है ?
उत्तर: श्रोता बाबू रामजीदास की पत्नी रामेश्वरी है । वह एक निःसंतान स्त्री है । उसकी बहुत इच्छा है कि उसकी स्वयं की कोई संतान हो । वह अपने पति को संतान के लिए पूजा-पाठ कराने, व्रत रखने के लिए कहती पर वो नहीं मानते । इस विषय में अक्सर पति-पत्नी में लड़ाई होती रहती । रामेश्वरी को उसके पति उनके छोटे भाई कृष्णदास के पुत्र मनोहर को प्यार करने के लिए कह रहे हैं ।

३) बालक के अपनी ताई के विषय में क्या विचार है ?
उत्तर: बालक मनोहर बाबू रामजीदास के छोटे भाई कृष्णदास का पुत्र है । वह अपनी ताई रामेश्वरी के स्वभाव को अच्छी तरह जानता है । ताई उससे प्यार नहीं करती, जब मौका मिले डाँट भी देती है । बालक ताई के शुष्क व्यवहार को अच्छी तरह से समझता है । उस समय ताई कुछ चिढ़ी सी बैठी थी । इसलिए बाबू रामजीदास के ये कहने के बावजूद भी कि ताई उसे प्यार करेगी, उसे विश्वास नहीं हुआ । वह ताई को अपनी रेलगाड़ी में नहीं ले जाना चाहता है ।

४) उपर्युक्त संवाद को सुनकर श्रोता पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर: श्रोता रामेश्वरी पहले से ही चिढ़ी हुई थी, उपर्युक्त संवाद सुनकर वो और नाराज हो गयी । उसे अपने पति का छोटे भाई के बच्चों के प्रति प्यार बिलकुल अच्छा नहीं लगता था । वो उन बच्चों को पराया समझती थी । उसे इस बात की भी बहुत नाराजगी थी कि उसके पति खुद की संतान प्राप्ति के लिए कोई पूजा-पाठ नहीं कराते, न ही कोई व्रत रखते हैं । वह अपने भतीजों पर ही जान छिड़कते हैं । रामेश्वरी उन बच्चों को ही मुसीबत की जड़ समझने लगी । इसलिए जब बाबू रामजीदास ने मनोहर को उसकी गोद में बिठाकर उसे प्यार करने को कहा तो उसने मनोहर को गोद से नीचे धकेल दिया ।

ग) “तुम्हारा हो जाता होगा और होने को होता भी है, मगर वैसा बच्चा भी तो हो ! पराये धन से कहीं घर भरता है ? ”
१) वक्ता और श्रोता का संक्षिप्त परिचय दें ।
उत्तर: श्रोता का नाम बाबू रामजी दास हैं । वे एक धनी व्यक्ति हैं । उनका आढ़त का व्यवसाय है । उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । उन्हें अपने छोटे भाई के बच्चों पर बड़ा प्रेम है । वे उन्हें अपनी संतान की तरह समझते हैं ।
वक्ता उनकी पत्नी रामेश्वरी है । संतान न होने के कारण रामेश्वरी के मन में हमेशा नाराजगी बनी रहती है । उसे अपने पति का छोटे भाई के बच्चों के प्रति प्रेम भी अखरता है ।

२) श्रोता ने वक्ता से बच्चों के विषय में क्या कहा था ?
उत्तर: श्रोता ने वक्ता से बच्चों के विषय में कहा था कि चाहे मन कैसा भी हो, बच्चों की प्यारी-प्यारी बातें सुनकर प्रसन्न हो ही जाता है, मगर तुम्हारा ह्रदय न जाने किस धातु से बना है जिसपर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता ।

३) मनोहर के विषय में वक्ता के क्या विचार है ?
उत्तर: वक्ता रामेश्वरी के स्वयं के बच्चे नहीं है । इसलिए वह हमेशा चिढ़ी रहती है । उसके मन में मनोहर के लिए स्नेह नहीं है । वह उसे पराया धन समझती है । रामेश्वरी के अनुसार मनोहर ऐसा बच्चा नहीं है जिसे देखकर उसके मन में प्यार उमड़े । अपनी संतान न होने के कारण उसके मन में मनोहर के प्रति ईर्ष्या के भाव हैं ।

४) श्रोता पर वक्ता के उक्त संवाद का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर: श्रोता बाबू रामजीदास रामेश्वरी की बात सुनकर कुछ देर चुप हो जाते हैं । उन्हें ये बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती कि उनकी पत्नी मनोहर को पराया धन समझे । वो रामेश्वरी को कहते हैं कि यदि अपना सगा भतीजा भी पराया धन कहा जाएगा तो फिर उनकी समझ में नहीं आता कि अपना धन किसे कहेंगे । इस बहस के कारण उनके मुख पर अपनी पत्नी के प्रति घृणा का भाव आ जाता है ।

घ)“कभी-कभी तो तुम्हारा व्यवहार बिलकुल ही अमानुषिक हो उठता है ।”
१) बाबू रामजीदास रामेश्वरी के किस व्यवहार को अमानुषिक कह रहे हैं ?
उत्तर: उपरोक्त संवाद के दिन बाबू रामजीदास ने अपने भतीजे मनोहर को रामेश्वरी की गोद में देकर उसे प्यार करने को कहा था । रामेश्वरी ने बच्चे को प्यार करने की बजाय उसे अपनी गोद से धकेल दिया । बच्चे को इससे चोट लग सकती थी । बाबू रामजीदास अपनी पत्नी के इस व्यवहार को अमानुषिक कह रहे थे ।

२) रामेश्वरी ने अपने बुरे व्यवहार का क्या कारण बताया ?
उत्तर: रामेश्वरी के अनुसार बाबू रामजीदास के कारण ही उसका स्वभाव खराब हुआ है । उनकी अपनी कोई संतान नहीं है । पंडित ने उन दोनों की जन्म पत्री देख कर बताया है कि कुछ उपाय करने से उन्हें संतान हो सकता है किन्तु बाबू रामजीदास ने पंडित की बात नहीं मानी । उन्होंने पंडित द्वारा बताया एक भी उपाय नहीं किया । सिर्फ अपने भाई के बच्चों के साथ लगे रहते हैं । इससे रामेश्वरी के मन में बहुत क्रोध है और वो बच्चों के प्रति बुरा व्यवहार करती है ।

३) बाबू रामजीदास ने संतानप्राप्ति के लिए पंडित द्वारा बताये गए उपाय क्यों नहीं किए ?
उत्तर: बाबू रामजीदास को पंडितों और ज्योतिषियों की बातों पर भरोसा नहीं था । उनके अनुसार ज्यादातर ज्योतिषी झूठे होते हैं । वे एक-दो किताब पढ़कर ज्योतिषी बन जाते हैं । उन्हें ज्योतिष का पूर्ण ज्ञान नहीं होता । वे झूठ की रोटियाँ खाते हैं व लोगों को ठगते फिरते हैं । ऐसी हालत में वो ज्योतिषियों पर भरोसा नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने संतानप्राप्ति के लिए पंडित द्वारा बताये गए उपायों को नहीं किया ।

४) बाबू रामजीदास को स्वयं की संतान न होने की चिंता क्यों नहीं थी ?
उत्तर: बाबू रामजीदास की भी इच्छा थी कि उनकी स्वयं की संतान हो पर वो जान गए थे कि उन्हें संतान नहीं होने वाली । जिस चीज की कोई उम्मीद ही न हो वो उस चीज के लिए चिंता करना बेकार समझते थे । वो अपने भाई के बच्चों को अपने बच्चों की तरह स्नेह करते थे । उनकी बाल-क्रीड़ा में वो वैसा ही आनंद लेते थे जैसा कोई मनुष्य स्वयं के बच्चों में लेता हो। इसलिए वो स्वयं की संतान न होने की चिंता नहीं करते थे ।

ङ) यद्यपि रामेश्वरी को माता बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था, तथापि उनका ह्रदय एक माता का हृदय बनने की पूरी योग्यता रखता था ।
१) लेखक ने मनुष्य के ह्रदय की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर: लेखक के अनुसार मनुष्य का ह्रदय बड़ा ममत्व प्रेमी है । जब तक वो किसी चीज को पराया समझता है, तब तक वो उस चीज को प्रेम नहीं करता । चाहे वो चीज कितनी भी सुन्दर हो, कितनी भी उपयोगी हो । इसके ठीक विपरीत यदि मनुष्य किसी चीज को अपना समझने लगे तो उसे उसपर प्रेम हो जाता है, चाहे वो वस्तु कितनी भी भद्दी हो या काम में न आनेवाली हो ।

२) लेखक क्यों कहता है कि प्रेम और ममत्व में चोली दामन का साथ है ?
उत्तर: लेखक के अनुसार मनुष्य किसी भी चीज को तब तक प्रेम नहीं कर सकता जब तक वो ये न मानें की वो चीज मेरी है । जब तक वो अपने ह्रदय में ये विश्वास दृढ़ नहीं कर लेता कि यह वस्तु मेरी है, उसे संतोष नहीं होता । उनके अनुसार ममत्व से प्रेम उत्पन्न होता है और प्रेम से ममत्व । इसलिए लेखक कहता है कि दोनों में चोली दामन का साथ है ।

३) रामेश्वरी का ह्रदय बच्चों के प्रति किस प्रकार का था ?
उत्तर: यद्यपि रामेश्वरी को माता बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था, तथापि उनका ह्रदय एक माता का हृदय बनने की पूरी योग्यता रखता था । उनके ह्रदय में वे गुण विद्यमान तथा अन्तर्निहित थे, जो एक माता के ह्रदय में होते हैं, परन्तु उनका विकास नहीं हुआ था ।
उनका ह्रदय उस भूमि की तरह था, जिसमें बीज तो पड़ा है, पर उसको सींचकर और इस प्रकार बीज को प्रस्फुटित करके भूमि के ऊपर लानेवाला कोई नहीं । रामेश्वरी का ह्रदय बच्चों की तरफ खींचता जरूर था, पर जैसे ही उसे ख्याल आता कि ये उसके बच्चे नहीं है, उसके मन में द्वेष और घृणा उत्पन्न हो जाती ।

४) ताई कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करो ।
उत्तर: ताई कहानी के माध्यम से लेखक एक संतानहीन माता की मनोदशा का वर्णन कर रहे हैं। कहानी की पात्र ताई एक निःसंतान स्त्री है । प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि किस प्रकार ताई के व्यवहार में परिवर्तन आता है । अपने भतीजों को घृणा करनेवाली ताई से उन्हें अपने प्राणों के सामान प्रेम करनेवाली ताई कैसे बनी, इसका बड़ा सजीव वर्णन है । इस कहानी के माध्यम से लेखक बता रहे हैं की मनुष्य का ह्रदय सदा प्रेम का भूखा होता है । वह किसी चीज को जब अपना मान लेता है तो उसका उस चीज पर प्रेम हो जाता है, किन्तु यदि किसी चीज को पराया मान ले तो वही चीज अप्रिय हो जाती है।

च) “न-जाने मेरी बातों में कौन सा विष घुला रहता है ।”
१) ताई को अचानक बच्चों पर प्रेम क्यों आ गया ?
उत्तर: मनोहर और उसकी बहन छत पर खेल रहे थे । रामेश्वरी को उनका खेलना कूदना अच्छा लग रहा था । हवा में उनके बाल, कमल की तरह खिले हुए उनके नन्हें-नन्हें मुख, उनकी प्यारी-प्यारी तोतली बातें, उनका चिल्लाना, भागना और लौट जाना , बच्चों के ये सब खेल रामेश्वरी के ह्रदय को शीतल कर रहे थे । सहसा चुन्नी तथा रामेश्वरी दोनों आकर रामेश्वरी की गोद में बैठ गए, इससे रामेश्वरी सारे द्वेष भूलकर उन्हें प्रेम करने लगी ।

२) बाबू रामजीदास अपनी पत्नी से क्यों नाराज हो रहे थे ? उपरोक्त वाक्य के सन्दर्भ में बताइये ।
उत्तर: बाबू रामजीदास ने अपनी पत्नी को बच्चों को गोद में बिठाकर खिलाते हुए देख लिया । उन्होंने रामेश्वरी को कहा कि बच्चों के प्रति उसका जो प्रेम है उसे छिपाने का कोई लाभ नहीं है । रामेश्वरी इस बात से क्रोधित हो उठी और बच्चों को अपशब्द कहने लगी । बाबू रामजीदास इससे नाराज हो गए । उन्होंने रामेश्वरी से कहा अपने मन से बच्चों को प्यार करती है और मैं कहता हूँ तो पता नहीं क्यों गुस्सा आ जाता है ।

३) रामेश्वरी अपने पति बाबू रामजीदास के नज़रों में क्यों गिरती जा रही थी ?
उत्तर: बाबू रामजीदास का बच्चों के प्रति प्रेम दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था । इस वजह से रामेश्वरी का बच्चों के प्रति द्वेष तथा क्रोध भी बढ़ता जा रहा था । दोनों पति-पत्नी में अकसर बच्चों के कारण कहा-सुनी हो जाती तथा रामेश्वरी को पति के कटु वचन सुनने पड़ते । बच्चों के प्रति उसकी घृणा के कारण वह दिन-प्रतिदिन अपने पति की नज़रों में गिरती जा रही थी ।

४) रामेश्वरी बच्चों के मरने पर घी के चिराग जलाने की क्यों सोचती है ?
उत्तर: रामेश्वरी को लगता था कि पराये बच्चों के कारण उनके पति का उनसे प्रेम कम होता जा रहा है । रामेश्वरी को हमेशा अपने पति से भला-बुरा सुनना पड़ता था । उसे लगता था कि उसके पति के लिए बच्चे ही सब कुछ है, वो कुछ नहीं । इसलिए मन ही मन वो बच्चों को कोसने लगी कि पूरी दुनिया में इतने लोग मरते हैं, ये दोनों बच्चे क्यों नहीं मरते । दोनों बच्चे न होते तो उसे ऐसे दिन नहीं देखने पड़ते । इसलिए वो सोच रही थी कि जिस दिन ये बच्चे मरेंगे उस दिन वो घी के दिए जलाएगी ।

छ) “जा कह दे अपने ताऊ से । देखूँ, वे मेरा क्या कर लेंगे ?”
१) वक्ता ने उक्त संवाद कब और किससे कहा ?
उत्तर: उक्त संवाद वक्ता रामेश्वरी अपने भतीजे मनोहर से कहती है । मनोहर रामेश्वरी से पतंग ला देने के लिए कहता है । रामेश्वरी के मना करने पर वो उन्हें ताऊ से शिकायत करके पिटवाने की बात करता है । रामेश्वरी उस की बात से चिढ़ के उपरोक्त जवाब देती है ।

२) श्रोता का संक्षिप्त परिचय दें ।
उत्तर: श्रोता पाँच वर्ष का बालक मनोहर है । वह कृष्णदास का बेटा और बाबू रामजीदास का भतीजा है । रामजीदास की स्वयं की कोई संतान नहीं होने के कारण मनोहर उनका लाड़ला बन गया है किन्तु उसकी ताई रामेश्वरी उससे ईर्ष्या करती है ।

३) उक्त संवाद की पृष्ठभूमि स्पष्ट करें ।
उत्तर: बालक मनोहर अपनी ताई से पतंग ला देने के लिए कहता है । ताई उसे गुस्से से झिड़ककर कहती है कि वह जाकर पतंग अपने ताऊ से ही माँग ले । मनोहर के दुबारा प्रार्थना करने पर उसका ह्रदय पसीज जाता है और वह सोच में पड़ जाती है । उसे मनोहर पर बहुत प्यार भी आता है किन्तु वह मनोहर की बात का जवाब नहीं देती । इस पर मनोहर रामेश्वरी को धमकाता है कि अगर वह उसे पतंग लाकर नहीं देगी तो वो ताऊ से कहकर पिटवाएगा । रामेश्वरी ये सुनकर बहुत गुस्से में आ जाती है और मनोहर को कहती है कि जा अपने ताऊ से शिकायत कर, देखती हूँ वो मेरा क्या कर लेंगे ।

४) वक्ता ने उक्त संवाद के बाद श्रोता तथा ‘ताऊ’ के विषय में क्या अनुभव किया ?
उत्तर: श्रोता एक पाँच वर्ष का बालक मनोहर है । वह जिस तरह पतंग न लाकर देने पर वक्ता रामेश्वरी को ताऊ से पिटवाने की धमकी देता है, उससे रामेश्वरी गुस्से से लाल हो जाती है । वह मनोहर को झिड़क देती है तथा मन में सोचती है कि ये सब ताऊजी के दुलार का ही फल है कि छोटा सा बच्चा उसे धमकाता है । वह ईश्वर से प्रार्थना करती है कि ऐसे दुलार पर बिजली टूटे ।

ज) रामेश्वरी चीख मारकर छज्जे पर गिर पड़ी ।
१) रामेश्वरी चीख मारकर क्यों गिर पड़ी ?
उत्तर: बालक मनोहर का पैर मुँडेर पर फिसल गया था । वह छत से नीचे गिरने वाला था, गिरते-गिरते उसने मुँडेर को दोनों हाथों से पकड़ लिया व बचाने के लिए रामेश्वरी को आवाज लगाई । रामेश्वरी ने उसे बचाने के लिए देर से हाथ बढ़ाया जिससे बालक मनोहर का हाथ मुँडेर से छूट गया । वह नीचे जा गिरा । यह देखकर रामेश्वरी चीख मारकर छज्जे पर गिर पड़ी ।

२) रामेश्वरी बेहोशी की हालत में क्या चिल्ला उठती ?
उत्तर: रामेश्वरी बेहोशी की हालत में कभी-कभी जोर से चिल्ला उठती और कहती “देखो-देखो, वह गिरा जा रहा है, उसे बचाओ, दौड़ो, मेरे मनोहर को बचा लो ।” कभी कहती, “बेटा मनोहर, मैंने तुझे नहीं बचाया । हाँ, हाँ, मैं चाहती, तो बचा सकती थी, मैने देर कर दी ।”

३) बालक मनोहर का पैर कैसे फिसला ?
उत्तर: बालक मनोहर को उड़ाने के लिए पतंग चाहिए थी । उसने अपनी ताई से माँगा पर उन्होंने नहीं लाकर दिया । इतने में एक पतंग कटकर मनोहर के घर की ओर आयी । पतंग घर के छज्जे से होती हुई आँगन में जा गिरी । बालक मनोहर ने पतंग कहाँ गिरी है ये देखने के लिए एक पैर छज्जे के मुँडेर पर रखकर आँगन की तरफ झाँका । पतंग को आँगन में गिरता देख वो बहुत खुश हुआ व आँगन में जाने के लिए तेजी से घुमा । घूमते समय उसका पैर मुँडेर से फिसल गया और वो नीचे गिरने लगा ।

४) दुर्घटना के बाद रामेश्वरी का मनोहर के प्रति व्यवहार कैसे बदल गया ?
उत्तर: दुर्घटना से पहले तक रामेश्वरी मनोहर से घृणा करती थी । वो उसे पराया धन मानती थी । हमेशा डाँटती फटकारती थी । दुर्घटना के बाद उसका मनोहर के प्रति स्वभाव बिलकुल बदल गया। वो उससे अब द्वेष या घृणा नहीं करती, मनोहर अब उसका प्राणाधार हो गया है । उसके बिना उसे एक क्षण के लिए भी शांति नहीं मिलती।

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