झूठ का सच

1) मैं किसी को एक नजर में ही पहचान जाता हूँ कि आदमी अच्छा है या बुरा।
क) गोनू झा का मित्र उसे क्यों प्रभावित था ?
उत्तर: गोनू झा का मित्र उससे प्रभावित था क्योंकि सभी लोग गोनू झा का लोहा मानते थे। गोनू झा दोस्त को दुश्मन, दुश्मन को दोस्त, मुर्ख को विद्वान, साधु को ठग और बेईमान को ईमानदार सिद्ध कर देते थे। उनकी इस कला से मित्र बहुत प्रभावित था।

ख) गोनू झा किसे सुधरने का अवसर देते थे ?
उत्तर: अगर कोई परिस्थितिवश झूठा अथवा बेईमान बन जाता है जबकि उसका चरित्र वैसा नहीं है तो गोनू झा उसे सुधारने का अवसर देते थे।

ग) गोनू झा किसका राज उद्घाटित करके ही दम लेते थे ?
उत्तर: यदि कोई मक्कार या पाखंडी महान बना हुआ है, तो गोनू झा उसका राज उद्घाटित करके ही दम लेते थे।

घ) गोनू झा अपने मित्र के बारे में धारणा क्यों नहीं बनाना चाहते थे ?
उत्तर: मित्र गोनू झा का बहुत अजीज था। वो जानते थे कि मित्र के बारे में धारणा बनाने से शायद उनकी दोस्ती दुश्मनी में बदल जाए। इसलिए वह मित्र के बारे में धारणा नहीं बनाना चाहते थे।

2) पाँच सौ तो शीघ्र ही लौटा दिए और शेष से मुकर रहा है।
क) गोनू झा ने अपने मित्र से कितने और किस तरह के सिक्के माँगे ?
उत्तर: गोनू झा ने अपने मित्र से मिट्टी के एक हजार सिक्के माँगे। उसमें से पाँच उन्हें तुरंत चाहिए थे और बाकी पाँच सौ बाद में।

ख) मित्र ने गोनू झा की सिक्कों की मांग को क्यों नहीं टाला ?
उत्तर: गोनू झा ने अपने मित्र से हजार मिटटी के सिक्के माँगे थे। मित्र उनकी माँग को टालना चाहता था किंतु उन्होंने सोचा गोनू झा किसी उद्देश्य से ही ऐसा कर रहे होंगे। वैसे भी गोनू झा अलग-अलग उद्देश्य से अलग-अलग स्वांग भरते रहते हैं। इसलिए मित्र ने उनकी माँग को नहीं टाला।

ग) गोनू झा ने पंचायत में क्या फरियाद लगाई ?
उत्तर: गोनू झा ने पंचायत में फरियाद लगाई कि उसके मित्र ने शीघ्र लौटाने की शर्त पर 6 महीने पूर्व उससे हजार सिक्के लिए थे। पाँच सौ तो शीघ्र ही लौटा दिए लेकिन बाकी सिक्के वापस करने से मुकर रहा है।

घ) गोनू झा का मित्र स्वयं के ऊपर लगे आरोप से क्यों चौंक गया ?
उत्तर: गोनू झा ने अपने मित्र से एक हजार मिट्टी के सिक्के माँगे थे। लेकिन अब वह पंचायत में कह रहा था कि उसके मित्र ने ही उससे छः महीने पूर्व एक हजार सिक्के उधार लिए हैं। उसमें से पाँच सौ तो उसने लौटा दिए लेकिन बाकी नहीं लौटा रहा है। अपने परम मित्र गोनू झा द्वारा लगाए इस झूठे आरोप से उसका मित्र चौंक गया।

3) पंच परमेश्वर, मेरे इस अजीज दोस्त को यह जानने की दिली ख्वाहिश थी कि मैं सच को झूठ और झूठ को सच में कैसे परिवर्तित कर देता हूँ।
क) मित्र गोनू झा पर क्रोधित क्यों था ?
उत्तर: गोनू झा ने मित्र पर झूठा आरोप लगाकर उससे पाँच सौ सिक्के ले लिए थे। इससे मित्र की बदनामी और बेइज्जती भी हुई। इसलिए वह गोनू झा पर बहुत क्रोधित था।

ख) मित्र की दुकान पर गणमान्य लोगों की भीड़ क्यों थी ?
उत्तर: गोनू झा के मित्र की किराने की दूकान थी। गोनू झा ने वहीं सारे गणमान्य लोगों को बुलाया था। इसलिए दुकान के अहाते में गणमान्य लोगों की भीड़ थी।

ग) गोनू झा ने सिक्के सबके सामने क्यों वापस किये ?
उत्तर: गोनू झा ने झूठा आरोप लगाकर जब अपने मित्र से पाँच सौ सिक्के लिए थे तब उसका मित्र सबके सामने जलील हुआ था। इसलिए गोनू झा ने वह सिक्के सबके सामने ही वापस लौटाए और सबको बताया कि उसका मित्र झूठा और बेईमान नहीं है।

घ) गोनू झा ने इतना बड़ा नाटक क्यों किया ?
उत्तर: गोनू झा के मित्र की यह जानने की दिली ख्वाहिश थी कि वह सच को झूठ और झूठ को सच में कैसे परिवर्तित कर देता है। उसे यह समझाने के लिए गोनू झा ने इतना बड़ा नाटक किया।

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